मानस में गुरु तत्वSadhakDecember 21, 2024Audio Book गुरु-तत्व अखण्ड, सर्व व्यापक एवं हितकारी तत्व है किन्तु सामान्यता भक्तजन तथा साधकवृन्द गुरु-तत्व को समझने, जानने, पकड़ पाने तथा उससे अपना संबंध जोड़ पाने में असमर्थ रह जाते है । गुरु-तत्व प्रत्येक जीव मे विद्यमान् होते हुए भी अदृश्य तथा अगम्य ही बना रहता है । गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस में गुरु-तत्व का विषद विवेचन किया गया किन्तु अभी तक भक्तों तथा मानस मर्मज्ञों का उधर लक्ष्य आकर्षित नहीं हो पाया। इसलिए यह विषय एक प्रकार से सम्प्रति अछूता ही रहा है। कभी राम ही गुरु-तत्व तथा शिष्य-तत्व दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, गुरुओं तथा शिष्यों दोनो के लिए मर्यादाएं स्थापित करते है । इस पुस्तक के माध्यम से मानस प्रेमियो तथा विद्वानो का इधर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयत्न किया गया है। जय गुरुदेव !!!