पुनरुदय (शक्तिपात विद्या का पुनरुत्थान)

प्रस्तुत पुस्तक का नाम पुनरुदय रखा गया है, अर्थात स्वामी गंगाधर तीर्थ जी महाराज ने शक्तिपात के सूर्य को फिर से उदय कर दिया। अब तक ये सूर्य बादलों के पीछे छिपा था। स्वामी नारायण तीर्थ देव जी महाराज इसके माध्यम बने। स्वामी श्री गंगाधर तीर्थ जी महाराज समर्थ सिद्ध पुरुष थे। सामाजिक दृष्टि से मृत पडी शक्तिपात विद्या को, धरातल से निकाल कर जन-समाज में प्रकाशित करने वाले, शक्तिपात के प्रवर्तक थे। किसी महापुरुष की आध्यात्मिक पहुंच का अनुमान, उसकी ख्याति से लगा लेना भूल होगी। आज तो यत्र-तत्र गंगाधर तीर्थ जी महाराज के नाम से लोग परिचित हैं, परंतु उनके जीवन काल में वे एकदम गुमनाम अवस्था में थे। स्वामी गंगाधर तीर्थ जी महाराज के शक्तिपात के एकमात्र शिष्य, स्वामी नारायणतीर्थ देव जी महाराज भी अत्यन्त त्यागी, तपस्वी, निर्भिमानी तथा अध्यातम-प्रेमी थे। उनकी मान्यता के अनुसार, जगत प्रपंच जलती आग के समान था, किंतु गुरु आज्ञा से, अपने त्यागी साधु बनने के मानसिक संकल्प का त्याग कर, उस आग मे कूद गए । संसार की सुख-सुविधाओं को उन्होने सदैव तुच्छ समझा। शिष्यों का कल्याण ही अभिमुख रखा। यह पुस्तक पाठकों-साधकों के समक्ष,स्वामी गंगाधर तीर्थ जी महाराज तथा स्वामी नारायणतीर्थ देव जी महाराज का विमल यश प्रकट कर,उनके प्रति श्रद्धा एवं विश्वास स्थापित करने मे सहायक होगी, वही उन्हे वैराग्य तथा साधन के शुद्ध स्वरूप की ओर भी इंगित करेगी। जय गुरुदेव!!!

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